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तंत्र और तांत्रिक - 1

डरना मना है 😰

कुछ लोग सोच रहे होंगे टॉपिक आज ऐसा क्यों है? पर शायद इस लेख की जरूरत है इसलिए आज इस विषय पर संक्षिप्त मे लिख रहा हु!( लेख लिखने के बाद देखा की मेरा संक्षिप्त इतना बड़ा है🧐) 

कुछ लोग तांत्रिकों से डरते है, कहते है फलाना तांत्रिक है उसने हमपे ये कर दिया वो कर दिया। तांत्रिक बुरे होते है काला जादू करते है। उनके पास जिन है, छेड़ा है, कोई किसी देवी का बोहोत बड़ा भगत है, किसी पीर का भगत है, उसमे कोई सवारी है, नवनाथों की शाबरी विद्या का सिद्ध है फलाना फलाना... और सबसे बड़ी बात वो 'तांत्रिक' है! - अजी घंटा

आजतक लोगों का पाला कभी किसी सच्चे तांत्रिक से नहीं पडा है इसलिए ऐसे दो कौड़ी के षट्कर्म के मंत्रों को रटने वालों को, सवारी आने वालों को, काला जादू करने वालों को ही तांत्रिक समझकर डरने लगते है। 

आजकल हर कोई झाडफुक करने, सवारी आने वाला खुदकों तांत्रिक बताकर घूमने लगा है। जिसमे 99% पाखंडी है। 

तंत्र शास्त्र की गहराई सबके बस के बात नहीं होती, garage मे काम करने वाला मेकेनिक एंजिनीयर नहीं होता। छोटे मोठे नुस्खे बताने वाला डॉक्टर नहीं होता। उसी प्रकार झाडफूँक, लोकदेवता, भूत-प्रेत-आत्मा भगाने वाला ओझा हो, किसी देवी देवता की सवारी आने वाला भगत, धार्मिक कार्य जैसे ग्रह शांति, वास्तु शांति कराने वाला पंडित हो, या कुंडली मिलान कराने वाला ज्योतिषी हो या वशीकरण करने वाला बंगाली बाबा हो ऐसे व्यक्ति तांत्रिक नहीं हो सकते। तांत्रिक बनना केवल लाल काले कपड़े पहनकर झाड़फुक करना नहीं होता, मानव खोपड़ी लेके घूमने वाला या नशे मे घूमने वाले लोग तांत्रिक कदापि नहीं हो सकते। तांत्रिक ये अध्यात्म (spirituality) का अत्याधिक सन्मानजनक पद है। 

जैसे एक इंजीनियर चाहे तो garage मे मैकेनिक का काम कर सकता है, डॉक्टर चाहे तो चलते फिरते छोटे मोटे रोगों की दवा बता सकता है इलाज भी कर सकता है क्यों की उसको उस क्षेत्र का पूर्ण ज्ञान है। एक तांत्रिक झाड़फुक वाले का कार्य, ज्योतिषी का कार्य, पंडित का कार्य, योग गुरु का कार्य साथ ही आधुनिक technology या साइंस से जुड़ा कार्य बड़ी आसानी से कर सकता है क्यों की इन सभी क्षेत्रों का गूढ ज्ञान उसके पास होता है। परंतु एक garage का मैकेनिक इंजीनियर नहीं बन सकता, वैसे ही झाड़फुक वाला, भूत प्रेत वीर पूजने वाला, देवताओ की सवारी लेने वाला भगत, धार्मिक कार्य करने वाला पंडित, ज्योतिषी या किसी शास्त्र का विशेषज्ञ तांत्रिक नहीं कहलाया जाता।  

कौन होता है तांत्रिक?

तांत्रिक यह पद कोई छोटी बात नहीं। एक तांत्रिक मंत्र, यंत्र, तंत्र, ध्यान, योग, ज्योतिष विज्ञान, मानव शरीर और कुंडलिनी विज्ञान का ज्ञाता तो होता ही है। साथ ही वो आधुनिक विज्ञान जैसे केमिस्ट्री, फिज़िक्स, मनोविज्ञान, विद्या, महाविद्या, पराविद्या, अपरा विद्याओ का ज्ञाता भी होता है। 

एक तांत्रिक कितने विषयों मे पारंगत होता है इसकी अगर मैं छोटीसी सूची भी यहा लिख दु तो लोग कहेंगे एक व्यक्ति इतना सारा ज्ञान कैसे रख सकता है? एक तांत्रिक केवल शारीरिक रूप से नहीं आत्मिक स्तर पर भी अनेक विषयों का अभ्यास करता रहता है उसका अभ्यास आत्मा के स्तर पर भी निरंतर चालू रहता है। 

इस जगत के सबसे बड़े तांत्रिक का नाम देवो के देव महादेव है, ज्यों समय आने पर अघोर रूप भी धर लेते है, विष पीते है पर शरीर पर उसका परिणाम नहीं होने देते, देवो के डॉक्टर बनकर बैद्यनाथ भी बनते है, योगेश्वर बनकर योग का ज्ञान भी देते है, नटराज बनकर कला के देवता भी बनते है, त्रिपुरारी बनकर तीन लोको का निर्माण का ज्ञान त्रिपुरासुर को दे सकते है और उसके बनाए तीन लोको का अंत भी करने मे सक्षम होते है। 

अब पूछता हु जिसके पास इतना सारा ज्ञान है वो झाड़फुक करके चोटी मोटी कमाई करेगा?

भूत प्रेत आत्मा भागकर लोगों के जिंदगी सवारेगा? देवी देवता की सवारी लेके बाल झटककर नाचेगा?

जिसका connection सीधा देवताओ से है वो इंसानों के बीच इंसानों वाली हरकते (मेरी भाषा मे रंडी रोना) करेगा? 

लोगों के भीड़ मे घूम घूम कर या सभा लगाकर हनुमान, राधाजी, महादेव, कृष्ण के रूपों के बारेमे कथावाचन करेगा? (मेरी भाषा मे बोल बच्चन देगा?) 

तांत्रिक को ना अपमान का भय होता है न सन्मान का लालच वो कभी सामने नहीं आता, उसे इंसानों से किसी भी प्रकार की अपेक्षा नहीं होती, उसे समाज सुधारने मे कोई रस नहीं होता क्यों की उसे पता है ये इंसानी कीड़े कभी सुधरने वाले नहीं है, कलयुग मे तो वैसे भी कोई चांस नहीं है सब मरने वाले है कुत्ते की मौत चाहे इस जनम मे ना हो अगले जनम मे या उसके अगले। तांत्रिक को किसिका गुरु बनने मे रस नहीं होता पर जब वो किसिको मार्गदर्शन करता है तो उसकी अपेक्षा होती है की वह व्यक्ति पूर्ण समर्पण के साथ बिना किसी संदेह के उसकी बात माने। 

क्यों की शंका को त्यागे बिना कोई शंकर नहीं बन सकता!

अब ये सारी बाते मैं क्यों बता रहा हु? क्या मुझे समाज सुधारने का कार्य करना है? नहीं मुझे केवल इतना पूछना है आजकल सोशल मीडिया पर तंत्र सिखाने वाले बोहोत सारे (स्वयघोषित तांत्रिक) दिख रहे है, क्या वो सच मे तंत्र जानते है? एक तांत्रिक ही तंत्र की योग्य शिक्षा दे सकता है और तंत्र ये आत्मउन्नति सिखाता है, एक अडिग चरित्र बनाता है, ज्ञानी बनाता है अगर तांत्रिक ज्ञानी नहीं होते तो राम ने रावण से वैश्विक ज्ञान लेनेके लिए लक्ष्मण को बोला नहीं होता क्यों की रावण स्वयं एक तांत्रिक था। पूरे विश्व का जिसके पास ज्ञान हो वो होता है तांत्रिक। झाड़फुक, टोने टोटके, भूतप्रेत, वशीकरण जैसी टुच्ची बातों मे तांत्रिक का रस नहीं होता, और ना ही ऐसे चीजों मे रस रखने वालों को वो पास आने देता है और ना सिखाता है। 

क्रमश:

शिवांश (हर्यक्ष) जमदग्नि

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