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कली और कलयुग - 2

(भाग दो - शिक्षा का प्राथमिक चरण)

जब कोई डॉक्टर बनने के लिए जाता है तो सबसे पहले उसे मानवी शरीर के सभी अंगों को क्या कहते है? वो कैसे निर्मित होते है? उनका कार्य क्या है? ये सब समझाया जाता है। जब कोई इंजीनियरिंग करने जाता है तो उसे यंत्रों के हर एक भाग का निर्माण, कार्य तथा आवश्यकता का ज्ञान दिया जाता है।

अगर डॉक्टर को किसी विशेष अंग का या बीमारी का स्पेशलिस्ट भी बनना हो तो उसे शुरुआती प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है जो एक डॉक्टर बनने के लिए आवश्यक है जैसे कि बायोलॉजी, एनाटॉमी का प्राथमिक ज्ञान लेना ही पड़ता है। इंजीनियरिंग में भी किसी विशेष क्षेत्र में अभियांत्रिक बनने के लिए भी हर इंजीनियर को फिजिक्स, मैथमेटिक, केमिस्ट्री का प्राथमिक ज्ञान पहले दिया ही जाता है उसके बाद ही वो अपना ऐच्छिक क्षेत्र चुन सकता है।

हर ज्ञान को पूर्ण रूप से प्राप्त करने हेतु प्राथमिक चरण पूर्ण किए बिना कोई भी अगले चरण तक पहुंच नहीं सकता। अबकड़ सीखे बिना कोई भी वाचन लेखन सिख नहीं सकता। इसका अर्थ ये कि डॉक्टर और इंजीनियरिंग का ज्ञान लेने के प्राथमिक चरण पहले से निर्धारित है। 

उसी प्रकार अध्यात्म में प्रवेश करने हेतु, ध्यान योग तंत्र मंत्र उपासना साधना के भी कुछ प्राथमिक चरण होते ही है। वो पूर्ण किए बिना आप कितने भी गुरु बना ले, मंत्र जप कर ले, स्तोत्र पढ़ ले, घंटों तक ध्यान कर ले या शरीर को योग के माध्यम से पिचका ले आप कभी भी कही भी पहुंच नहीं सकते। क्यों कि कोई भी ज्ञान लेने से पूर्व उसकी नींव का मजबूत होना आवश्यक है। तो जब आपको कोई भी ऐरा गैरा आके बोल दे कि मैं तुझे तंत्र सिखा दूंगा, मंत्र सिखा दूंगा योग सिखा दूंगा या ध्यान सिखा दूंगा तो आप विश्वास कैसे कर सकते है? अगर इतना ही आसान है सबकुछ सीखना या सिखाना तो इस विश्व में इतना असंतोष क्यों है? सभी डॉक्टर क्यों नहीं है, सभी इंजीनियर क्यों नहीं है? सभी ध्यानी, योगी, मांत्रिक, यांत्रिक, तांत्रिक क्यों नहीं है? 

जैसे हर कोई डॉक्टर नहीं बन सकता, हर कोई इंजिनियर नहीं बन सकता, हर कोई कलाकार या लेखक नहीं बन सकता, उसी प्रकार तंत्र मंत्र यंत्र जैसा पारलौकिक विज्ञान सबके लिए नहीं है कुछ विशेष आत्माओं को ही यह सीखने की मेधा (IQ) कहो या merit प्राप्त होता है। 

जैसे UPSC MPSC IIT में हर कोई पास नहीं हो सकता पर लोग जिद पकड़ लेते है कि मुझे तो सरकारी नौकरी चाहिए ही और अपना सबकुछ दाव पर लगाकर अपना जीवन उसमें झोंक देते है। ऐसा कोई ढूंढते है जो उसे उसकी इच्छा पूर्ण करने का अवसर दे। क्लासेज join करते है। ताकि अच्छे मार्क्स लाकर IIT, डॉक्टर या इंजीनियर बन सके...यही सब अध्यात्म के क्षेत्र में भी हो रहा है। कुछ लोग जिद पर अड़ गए है कि वो कोई सिद्धि प्राप्त कर लेंगे या अपने इष्ट का दर्शन कर लेंगे या फिर कृपा प्राप्त कर लेंगे और ऐसे लोगों की जिद देखकर अंधश्रद्धा फैलाने वाले पाखंडियों का धंधा चल पड़ा है। 

आपने देखा होगा कितने लोग है जो डॉक्टर इंजीनियर UPSC MPSC IIT जैसे ऊंचे पद को प्राप्त करने की मनीषा रखते है पर हर कोई नहीं बन पाता। और जो नहीं बन पाते वो या तो अपने क्लासेज खोल लेते है, या फिर IIT, ग्रेजुएट, MBA चायवाला बन जाते है और वो बनने का आडंबर करते है जो वो कभी बन नहीं पाए...! 

मैं किसीको निराश करने के लिए ये नहीं लिख रहा मैं केवल उन लोगों को सचेत कर रहा हु जो आध्यात्मिक विषयों से जुड़े क्लासेस ज्वाइन करके, गुरु दीक्षा लेकर, मंत्र जाप करके, या दिन रात तंत्र मंत्र की किताबें पढ़के या यूट्यूब की वीडियो देखने ये सोच लेते है कि वो अध्यात्म को, तंत्र,मंत्र और पारलौकिक विज्ञान को आत्मसात कर लेंगे तो आप ठीक उन लोगों में से हो जो स्पर्धा परीक्षाओं में किताबें रट रट के उत्तीर्ण होने के सपने देख रहे है। 

और यही सत्य है...चाहे मानो या न मानो...मेरा काम तो बस सच बोलना है अगर किसी सज्जन को मेरी बात का बुरा लगा है तो किसी शुभ मुहूर्त पर पीतल की कटोरी में पानी ले और उसमें डूब मरे...! 

क्रमश:


शिवांश (हर्यक्ष) जमदग्नि

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