(भाग तीन - रहस्य क्या है और क्यों है?)
एक बच्चा जन्म लेता है, उसके लिए केवल उसकी माता ही सबकुछ है, परिवार ही विश्व है सबकुछ है फिर जब उसे थोड़ी बुद्धि और समझ आती है तो घर के बाहर निकलता है उसे पता चलता है की घर के आसपास और भी घर है और लोग है। फिर कुछ समय के बाद वो जानता है घर एक मोहल्ले मे है, कुछ दिन बाद जैसे मेरा मोहल्ला है वैसे अनेक मोहल्ले है एक शहर है। थोड़ी और समझ आने के बाद वो जानता है की ऐसे कई शहरों से मिलकर एक राज्य बंता है और कई राज्यों को मिलकर एक देश और कई देशों को मिलकर ये पृथ्वी और इस प्रकार समय के साथ उसकी बुद्धि बढ़ते हुए इस रहस्य को जानती है।
अब सोचो कल ही पैदा हुवा बच्चा है और लोग उसे बता रहे है एक ऐसा विश्व है जिसमे सूरज है चंद्र है तारे है क्या वो इसे समझ पाएगा? वो छोड़ो वो उसके किसी काम का है? उसकी समझ बस उसके माँ तक सीमित है वो अपने बाप तक को नहीं पहचानेगा। तो तुम्हारे रहस्य का क्या आचार डालेगा?
रहस्य कहो गूढ कहो गुप्त कहो या गुह्य कहो इस संसार मे सबकुछ गोपनीय ही है। कोई भी रहस्य गोपनीय रखने के कुछ कारण होते है। अगर सोचो आपके बैंक अकाउंट के सारे डिटेल्स पब्लिक मे डाल दिए जाए तो चोर उचक्के आपको लूट लेंगे। और अगर आपके पास कोई अनोखा रहस्य पता चला है जैसे सोना बनाने की विधि तो पहले आप सोना बनाकर खुदका जीवन सँवारोगे या वो पब्लिक मे सोशल मेडिया पर या यूट्यूब पर जाकर बताओगे?
यूट्यूब फ़ेसबुक इंस्टाग्राम पॉडकास्ट और रील्स पर आपको ऐसे कई ज्ञानी? (प्रकांड घनघोर अखंड पराक्रमी महाज्ञानी?) लोग मिलेंगे जो रहस्यमयी गुप्त चीजे बता रहे है और viral हो रहे है? अगर ये गुप्त है तो पब्लिक मे क्यों बताई जा रही है बाते कभी सोचा है? केवल आपको भ्रमित करने के लिए। जीतने आपके मस्तिष्क मे विचारों के प्रश्नों के कोहराम मचेंगे उतना ही समय लगेगा आपको सत्य तक पहुचने के लिए और कलियुग तो चाहता ही है आपके विचार कभी खतम न हो। जिस दिन विचारों का आवरण हटेगा माया क्षीण हो जाएगी और सत्य दृष्टिगोचर हो जाएगा सभी रहस्य प्रकट हो जाएंगे।
अब कुछ लोग बोलेंगे रहस्य को उजागर कर देना चाहिए रहस्य क्यों रखना है? तो समाज मे कुछ चीजे १८+ साल की उम्रतक रहस्य क्यों बनाई रखी जाती है? क्यों की उस बातों का महत्व समझने के लिए बुद्धि परिपक्व नहीं होती है इसलिए १८+ साल की उम्रतक उसे सामने नहीं लाया जाता। जब बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व हो जाते है तब ज्यादातर बच्चों को १८+ बाते समझानि नहीं पड़ती वे स्वयं ही सब जान लेते है। क्यों की उनका मन, शरीर और बुद्धि तीनों उस रहस्य को समझने लायक बन गया होता है।
ठीक वैसे ही अध्यात्म मे भी सब उजागर ही है रहस्य कुछ भी नहीं पर समय के साथ एक एक चीज समझने के लिए परिपक्वता आने के बाद ही वो रहस्य सामने आता है। कोई भी किताबे या यूट्यूब के वीडियो देखकर कोई रहस्य नहीं समझ सकता। अगर समझ भी जाए तो हजारों सवाल, शंका और संशय मन मे बीठा लेगा जैसे अगर किसी ८-९ साल के बच्चे के सामने १८+ बाते आ जाए तो उसका मन प्रश्नों से भर जाएगा, वो अधिक से अधिक जानकारी लेने के लिए तड़प उठेगा। और इसीमे वो बुरी संगत मे पड़कर गलत कदम भी उठाता है जैसे आज समाज मे हो रहा है। यही अध्यात्म मे भी हो रही है लोगों को अजीब अजीब रहस्य और गूढ बाते रंगीन सजाकर बताई जा रही है। न बताने वाला बौद्धिक रूप से परिपक्व है न सुननेवाला बौद्धिक रूप से परिपक्व है। दोनों बाल बुद्धि है जब ऐसा कॉम्बो बन जाए तो उससे लाभ की आशंका है या हानी की?
कोई भी आध्यात्मिक व्यक्ति जो बौद्धिक रूप से परिपक्व हो और गुरु परंपरा से संलग्न हो वो कभी भी गूढ बाते रहस्यमई बाते तबतक किसिको नहीं बताता जब्तक वो उस व्यक्ति की व्यक्तिगत परीक्षा लेकर आकलन न कर ले की अमुक रहस्य जानने लायक वो व्यक्ति परिपक्व हुआ भी है या नहीं उसके बाद ही वो उस मार्ग पर उसको मार्गदर्शन करता है, अन्यथा नहीं। यदि वो परिपक्व नहीं है तो उसे परिपक्व होने के लिए भी मार्गदर्शन करता रहता है। और गुरु परंपरा मे यही नियम है की जब्तक कोई शिष्य मानसिक, शारीरिक बौद्धिक रूप से परिपक्व न हो तबतक उसे किसी गुप्त विषय के बारे मे बताया नहीं जाता। अगर वो परिपक्व नहीं है पर फिर भी उसके भाग्य मे लिखा है तो पुरुषार्थ करने हेतु उसको योग्य मार्गदर्शन किया जाता है। मेरे पास ३५००+ से अधिक लोग रहस्य जानने के हेतु से आए पर पुरुषार्थ करने की तयारी केवल १४ लोगों ने दिखाई और पुरुषार्थ करके वो परिपक्वता प्राप्त भी की! जो पुरुषार्थ और कर्म करने की तयारी दिखाए उसे ये विश्व मार्गदर्शन करने सज्ज हो जाता है जो न दिखाए उनके पिछवाड़े पर लाथ भी देना गुरु परंपरा को आता है।
लाथ तो मारनी ही पड़ती है क्यों की स्वार्थी गधे को मार मारकर घोडा बनाना और उसको मेकप करके सजाकर रेस मे दौड़ाना मुझे नहीं आता, जो पैदाइशी घोडा है उसको ही मैं तयार करता हु और दाव लगाता हु! मुझे भी मेरी गुरु परंपरा को जवाब देना होता है, क्योंकी मेरे गुरुओ ने मुझे गधोका मेकअप नहीं शेर और बाज बनाना सिखाया है!
एक बात समझ कर गांठ बांध लो जीवन मे जो कुछ भी हो चुका है, वर्तमान मे हो रहा है, या भविष्य मे होगा वो नियत समय पर ही होगा जल्दबाजी आपको है, समयचक्र को नहीं। भ्रूण ९ माह पूर्ण होने के बाद ही जन्म लेगा फिर चाहे वो स्वयं भगवान का अवतार ही क्यों न हो। जब वो पूर्ण रूप से यौवन प्राप्त करेगा तभी किसीके जन्म का कारण या पिता बनेगा उससे पूर्व नहीं।
वैसे ही अध्यात्म मे कुछ बाते तभी जानना और समझना उचित है जब सही समय आएगा जल्दबाजी करोगे तो नुकसान तुम्हारा ही होगा। जरूरत से ज्यादा जान लोगे तो भी नुकसान तुम्हारा ही होगा। अगर कुछ बाते आपको पता नहीं है इसका अर्थ ये है या तो वो आपके काम की नहीं है या फिर आप उसको समझने लायक नहीं हो इसलिए इस विश्व को संचालित करने वाली शक्ति ने उस रहस्य से आपको अनभिज्ञ रखा है।
अब कुछ लोग बोलेंगे आपने भी तो इस ग्रुप का नाम रहस्यमई गूढ सनातन मंत्र साधना रखा है आप भी तो उन्ही लोगों मे हो जो गूढ, रहस्य ऐसे शब्द जोड़ कर लोगों से छल करते है।
तो उनके लिए सौ बातों की एक बात - कलयुग मे छल का आशय यदि धर्म है तो छल भी धर्म है। मेरा आशय लोगों को अध्यात्म के प्रति जागृत करना है ना की भ्रमित करना इसलिए ये छल तो मैं करूंगा ही और यही शिवांश जमदग्नि का स्टाइल है।
क्रमश:
शिवांश (हर्यक्ष) जमदग्नि

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